विवरण:
“अब किताबें नहीं — क्रांति पढ़ाई जाएगी!”
यह कोई सामान्य किताब नहीं, बल्कि एक युगांतकारी घोषणापत्र है —
जिसका उद्देश्य भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली को पूरी तरह से नकारते हुए
एक नए, तर्कयुक्त, आत्मनिर्भर और युवा-केंद्रित शिक्षा मॉडल की स्थापना करना है।
“शिक्षा में महाक्रांति” एक ऐसी आवाज़ है जो उन सवालों को उठाती है
जो दशकों से दबाए जा रहे हैं —
> ❌ क्यों शिक्षा जीवन नहीं सिखाती, सिर्फ नौकरी के लिए घिसाती है?
❌ क्यों पैसों की समझ नहीं सिखाई जाती — और उसे अपराध जैसा दिखाया जाता है?
❌ क्यों सरकारी स्कूल सड़ रहे हैं — और गरीबों को शिक्षा से काटा जा रहा है?
❌ क्यों हर बच्चा सिर्फ डिग्री लेकर बेरोज़गारी की भीड़ में खो जाता है?
यह किताब मैकाले की उस शिक्षा का नकाब फाड़ती है
जिसने भारत को गुलाम नहीं — मानसिक गुलाम बनाया।
इस पुस्तक में मिलेगा:
शिक्षा और सिस्टम के बीच टकराव की सबसे धारदार व्याख्या
रुपया बनाना, स्टार्टअप, निवेश, आत्मनिर्भरता — सब शिक्षा में कैसे जोड़े जाएं
यौन शिक्षा, चरित्र निर्माण, डिजिटल आज़ादी — आज के समय की सबसे जरूरी बातें
भविष्य की शिक्षा प्रणाली — 500 वर्षों तक चलने वाला रोडमैप
एक ऐसा समाधान-आधारित दृष्टिकोण — जो सिर्फ शिकायत नहीं, क्रांति को जन्म देता है
🎯 इस पुस्तक का मिशन:
> “अब सिर्फ बदलाव नहीं —
भारत में शिक्षा की महाक्रांति लानी है,
ताकि अगली पीढ़ी केवल नौकरी की तलाश न करे,
बल्कि एक नया भारत बनाए।”
क्यों प्रकाशित करें?
यह भारत की पहली ऐसी पुस्तक है जो शिक्षा, अर्थव्यवस्था, चरित्र, तकनीक और भविष्य की सोच को एक मंच पर लाती है।
इसमें युवा शक्ति को नेतृत्व में लाने का साहसिक संदेश है।
किताब Controversial, Revolutionary और Visionary है — और यही इसकी सबसे बड़ी USP है।
यह भारत की सबसे ज्यादा बिकने वाली और सबसे ज्यादा चर्चा में आने वाली पुस्तकों में गिनी जा सकती है।
यदि आप एक ऐसा पब्लिशिंग हाउस हैं जो सिर्फ किताब नहीं, आंदोलन छापना चाहता है —
तो “शिक्षा में महाक्रांति” आपकी अगली सबसे बड़ी सफलता बन सकती है।






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