Book Name :Kaikeyi : Shri Ram’s Exile – Why Only Fourteen Years?
श्री राम के चरित्र पर लिखे गए, लगभग सभी ग्रंथ, इस सत्य को स्वीकार करते हैं कि बालक राम, जन्म देने वाली अपनी माता कौशल्या से भी अधिक विमाता कैकेयी से प्रेम करते थे। राजरानी कैकेयी के दो वरदानों ने श्री राम के साथ-ही-साथ सम्राट दशरथ के जीवन और अयोध्या में भी उथल-पुथल मचा दी थी। तब से लेकर अब-तक, कैकेयी अंबा का चरित्र सबसे अधिक कलंकित, निंदित, लांक्षित, अपमानित और अशोभनीय माना जाता है। परन्तु क्या आपने कभी सोचा कि यदि कैकेयी अंबा के मन में अपने पुत्र भरत के लिए अयोध्या के सिंहासन का ही लोभ होता तो वे राम के लिए केवल चौदह वर्षों का वनवास ही क्यों माँगती? वरदान की शक्ति से वे अपने पुत्र भरत के जीवित रहने तक अयोध्या का सिंहासन और राम के लिए जीवन पर्यन्त वनवास भी तो माँग सकती थीं? रघुकुल वाले वचन देकर पीछे नहीं हटते, ‘रघुकुल रीति सदा चली आई, प्राण जाई पर वचन न जाई’।
तो इन चौदह वर्षों का रहस्य क्या था? कैकेयी अंबा केवल चौदह वर्षों के लिए ही श्री राम को अयोध्या से दूर क्यों रखना चाहती थीं?
इन चौदह वर्षों के रहस्य को उजागर करना ही, इस पुस्तक का धर्म है।
लेखक परिचय
विकास कपूर को अपनी दादी और अपनी माँ से आस्था-भक्ति के संस्कार मिले। सन् 1994 में अपने जन्म स्थान कानपुर (उ. प्र.) से मुंबई-महाराष्ट्र आने के बाद श्री कपूर ने साहित्य, फिल्म और टेलीविज़न क्षेत्रों में कई सफल, सार्थक कार्य किए। श्री कपूर की लिखी फीचर फिल्म ‘शिर्डी साईबाबा’ को महामाहिम राष्ट्रपति के आर नारायणन द्वारा राष्ट्रीय एकता पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
साहित्य के क्षेत्र में ‘साई की आत्मकथा’, ‘कालजयी‘, ‘शिवयोग कुंडलिनी जागरण भाग-1 एवं 2’, ‘साई बाबा कॉमिक बुक’ ‘कानपुर भूमि का इतिहास-भूगोल’ आदि प्रकाशित पुस्तकें हैं। वहीं टेलीविज़न धारावाहिकों में ‘ॐ नमः शिवाय’, ‘श्री गणेश’, ‘मन में है विश्वास’, ‘जय संतोषी माँ’, ‘ॐ नमो नारायण’, ‘जय माँ वैष्णों देवी’, ‘अनंतकोटि ब्रह्मांड नायक साईबाबा’, आदि प्रमुख हैं।
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