- अर्नेस्ट हेमिंग्वे का जन्म 21 जुलाई, 1899 को ओक पार्क, इलिनोइस में हुआ था। उपन्यासकार, लघु कथाकार, रिपोर्टर और कवि, हेमिंग्वे को बीसवीं सदी के सबसे प्रभावशाली लेखकों में से एक माना जाता है। अपने संघर्षपूर्ण जीवन के बहुविध अनुभवों का इन्होंने लेखन कार्य में सफलतम सर्जनात्मक उपयोग किया तथा अनेक ऐसी रचनाएँ दीं, जो आत्म-अनुभवजन्य होने का संकेत देती हुई भी कलात्मकता के शिखर को छूती हैं।₹175.00Sku: 9780143473633
Pagal/पागल
- जॉन अर्नस्ट स्टेनबेक जूनियर प्रसिद्ध अमेरिकी लेखक थे। उन्होंने साहित्य में 1962 का नोबेल पुरस्कार जीता। अपने लेखन कॅरियर के दौरान, उन्होंने 27 पुस्तकें लिखीं, जिनमें 16 उपन्यास, छह ग़ैर-काल्पनिक पुस्तकें और लघु कहानियों के दो संग्रह शामिल हैं। पुलित्जर पुरस्कार विजेता द ग्रेप्स ऑफ़ क्रोध (1939) को स्टीनबेक की उत्कृष्ट कृति और अमेरिकी साहित्यिक कैनन का हिस्सा माना जाता है। प्रकाशित होने के बाद पहले 75 वर्षों में, इसकी 14 मिलियन प्रतियाँ बिकीं।₹175.00Sku: 9780143473626
Oonche Parvat/ऊंचे पर्वत
- शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म 15 सितंबर, 1876 हुगली जिले के देवानन्दपुर में हुआ। वे बांग्ला के सबसे लोकप्रिय उपन्यासकार थे। शरतचंद्र चट्टोपाध्याय के कई रचनाओं का कई भारतीय भाषाओं में पचास से अधिक फिल्मों में रूपांतरण हुआ है। विशेष रूप से, उनके उपन्यास देवदास को सोलह संस्करणों में बनाया गया है तथा परिणीता को बंगाली, हिंदी और तेलुगू में दो बार बनाया गया है। 16 जनवरी 1938 ई. को कलकत्ता पार्क नसिंग होम में 62 वर्ष की अवस्था में शरतचन्द्र का निधन हुआ।₹175.00Sku: 9780143473619
Navvidhan/नवविधान
- गुरुदत्त स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी के साथ-साथ हिंदी के महान उपन्यासकार थे। विज्ञान के विद्यार्थी और पेशे से वैद्य होने के बावजूद वे बीसवीं शती के एक ऐसे सिद्धहस्त लेखक थे, जिन्होंने लगभग दो सौ उपन्यास, संस्मरण, जीवनचरित आदि का सृजन किया और भारतीय इतिहास, धर्म, दर्शन, संस्कृति, विज्ञान, राजनीति और समाजशास्त्र के क्षेत्र में भी अनेक उल्लेखनीय शोध-कृतियाँ दीं। राष्ट्रसंघ के साहित्य-संस्कृति संगठन यूनेस्को के अनुसार गुरुदत्त 1960-1970 के दशकों में हिंदी साहित्य में सर्वाधिक पढ़े जानेवाले लेखक रहे हैं। गुरुदत्त को क्रांतिकारियों का गुरु भी कहा जाता है। जब ये लाहौर के नेशनल कॉलेज में हेडमास्टर थे, तब सरदार भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु इनके सबसे प्रिय शिष्य थे।₹299.00Sku: 9780143473602
Nadi Teere/नदी तीरे
- विजयचंद जैन एक कुशल लेखक के साथ-साथ समाजसेवी भी थे। वे साहित्य की कई विधाओं में पारंगत थे। उन्हें धर्म-संस्कृति, लेखन और समाजसेवा के क्षेत्र में अनेक पुरस्कार मिले। उन्होंने अपने जीवनकाल में दर्जनों पुस्तकों की रचना की, जो कई भाषाओं में अनूदित होकर देश-विदेश में पढ़ी गई। आज भी उनके पाठकों की एक बड़ी संख्या है।₹175.00Sku: 9780143473596
Mahan Hastiyon Ke Hasya Vinod/महान हस्तियों के हास्य-विनोद
- गुरुदत्त स्वतंत्रता सेनानी और समाजसेवी के साथ-साथ हिंदी के महान उपन्यासकार थे। विज्ञान के विद्यार्थी और पेशे से वैद्य होने के बावजूद वे बीसवीं शती के एक ऐसे सिद्धहस्त लेखक थे, जिन्होंने लगभग दो सौ उपन्यास, संस्मरण, जीवनचरित आदि का सृजन किया और भारतीय इतिहास, धर्म, दर्शन, संस्कृति, विज्ञान, राजनीति और समाजशास्त्र के क्षेत्र में भी अनेक उल्लेखनीय शोध-कृतियाँ दीं। राष्ट्रसंघ के साहित्य-संस्कृति संगठन यूनेस्को के अनुसार गुरुदत्त 1960-1970 के दशकों में हिंदी साहित्य में सर्वाधिक पढ़े जानेवाले लेखक रहे हैं। गुरुदत्त को क्रांतिकारियों का गुरु भी कहा जाता है। जब ये लाहौर के नेशनल कॉलेज में हेडमास्टर थे, तब सरदार भगत सिंह, सुखदेव व राजगुरु इनके सबसे प्रिय शिष्य थे।₹299.00Sku: 9780143473589
Madhu/मधु
- शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय का जन्म 15 सितम्बर, 1876 हुगली जिले के देवानन्दपुर में हुआ। वे बांग्ला के सबसे लोकप्रिय उपन्यासकार थे। शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय के कई रचनाओं का कई भारतीय भाषाओं में पचास से अधिक फिल्मों में रुपांतरण हुआ है। विशेष रूप से, उनके उपन्यास देवदास को सोलह संस्करणों में बनाया गया है तथा परिणीता को बंगाली, हिंदी और तेलुगू में दो बार बनाया गया है। 16 जनवरी 1938 ई. को कलकत्ता पार्क नसिंग होम में 62 वर्ष की अवस्था में शरतचन्द्र का निधन हुआ।₹199.00Sku: 9780143473572
Kashinath/काशीनाथ
- प्रेमचंद हिंदी और उर्दू के महानतम भारतीय लेखकों में से एक थे। उपन्यास के क्षेत्र में उनके योगदान को देखकर बंगाल के विख्यात उपन्यासकार शरतचन्द्र चट्टोपाध्याय ने उन्हें उपन्यास सम्राट कहकर संबोधित किया था। प्रेमचंद ने हिंदी कहानी और उपन्यास की एक ऐसी परंपरा का विकास किया, जिसने पूरी सदी के साहित्य का मार्गदर्शन किया। प्रेमचंद एक क्रांतिकारी रचनाकार थे, उन्होंने न केवल देशभक्ति बल्कि समाज में व्याप्त अनेक कुरीतियों को देखा और उनको कहानी के माध्यम से पहली बार लोगों के समक्ष रखा। उन्होंने उस समय के समाज की जो भी समस्याएँ थीं उन सभी को चित्रित करने की शुरुआत कर दी थी। उसमें दलित भी आते हैं, नारी भी आती हैं। ये सभी विषय आगे चलकर हिंदी साहित्य के बड़े विमर्श बने।₹199.00Sku: 9780143473565
Karbala/कर्बला
- 7 अक्टूबर 1946 को अंबाला, हरियाणा में जन्मी कमल कुमार बहुमुखी प्रतिभा के धनी हैं। आप उपन्यास, कहानी, कविता, आलोचना आदि विविध विधाओं में लिखने में पारंगत हैं। आपकी कई कहानियों पर फिल्मों का निर्माण भी हुआ है, जिन्में जंगल कहानी प्रमुख है। हैमबर्गर उपन्यास पर रेडियो धारावाहिक प्रसारित हुआ। साहित्यकार सम्मान, साहित्य-भूषण, साधना श्रेष्ठ सम्मान, साहित्य श्रेष्ठ सम्मान, साहित्य भारती सम्मान, रचनाकार सम्मान, गजानन माधव मुक्तिबोध राष्ट्रीय पुरस्कार, हरियाणा गौरव सम्मान सहित आपको देश-विदेश से अनेक पुरस्कार प्राप्त हुए हैं।₹250.00Sku: 9780143473558
Kamal Kumar Ki Yadgri Kahaniyan/कमल कुमार की यादगारी कहानियाँ
- रांगेय राघव का मूल नाम तिरूमल्लै नंबाकम वीर राघव आचार्य था; लेकिन उन्होंने अपना साहित्यिक नाम ‘रांगेय राघव’ रखा। इनका जन्म 17 जनवरी, 1923 श्री रंगाचार्य के घर हुआ था। इनकी माता श्रीमती कनकवल्ली और पत्नी श्रीमती सुलोचना थीं। रांगेय राघव ने हिंदीतर भाषी होते हुए भी हिंदी साहित्य के विभिन्न धरातलों पर युगीन सत्य से उपजा महत्त्वपूर्ण साहित्य उपलब्ध कराया।₹250.00Sku: 9780143473541
Kab Tak Pukarun/कब तक पुकारूँ
- डॉ शोभा निगम ने 1970 में पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से दर्शनशास्त्र में प्रथम श्रेणी में प्रथम स्थान प्राप्त करते हुए एमए की उपाधि तथा इसी विश्वविद्यालय से सन् 1980 में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की है। सन 1973 में आप छत्तीसगढ़ महाविद्यालय में दर्शनशास्त्र की व्याख्याता नियुक्त हुईं। इस बीच आप इसी महाविद्यालय में रहते हुए प्रोफेसर भी बनी और फिर शासकीय महाविद्यालय आरंग में प्राचार्य पद का दायित्व निर्वहन करते हुए सन् 2010 में सेवानिवृत्त हुई हैं। सुकरात : एक महात्मा पुस्तक पर मध्यप्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन द्वारा इन्हें ‘वागीश्वरी पुरस्कार' प्राप्त हुआ है₹250.00Sku: 9780143473534
Isa /ईसा: Salib Par Tanga Ek Masiha/सलीब पर टंगा एक मसीहा
- बंकिमचन्द्र चटर्जी बंगाली के प्रख्यात उपन्यासकार, कवि, गद्यकार और पत्रकार थे। बंगला साहित्य के माध्यम से भारतीय जनमानस तक पैठ बनाने वालों में बंकिमचन्द्र वह पहले साहित्यकार हैं, जिन्हें विश्वव्यापी ख्याति मिली। उनका पहला उपन्यास दुर्गेश नन्दिनी था। संस्कृत भाषा में प्रकाशित इस उपन्यास में अकबरयुगीन सामाजिक, राजनीतिक परिस्थितियों का सजीव चित्रण है। लेकिन उनका सर्वश्रेष्ठ उपन्यास है―आनन्दमठ, जो तत्कालीन समय में देशभक्तों के गले का कंठहार था। इसमें देशभक्ति का ऐसा आदर्श था, जिससे प्रेरित होकर लाखों-करोड़ों नवयुवक देशभक्ति की राह पर निकल पड़े। इसी उपन्यास का एक गीत वंदे मातरम् भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के काल में क्रान्तिकारियों का प्रेरणास्रोत बन गया था।₹175.00Sku: 9780143473510
Indira/इंदिरा
- गोपालदास नीरज हिंदी साहित्यकार, शिक्षक एवं कवि सम्मेलनों के मंचों पर काव्य वाचक एवं फिल्मों के गीत लेखक थे। नीरज का जन्म 4 जनवरी 1925 को ब्रिटिश भारत के संयुक्त प्रांत आगरा व अवध, जिसे अब उत्तर प्रदेश के नाम से जाना जाता है, में इटावा जिले के ब्लॉक महेवा के निकट पुरावली गाँव में बाबू ब्रजकिशोर सक्सेना के यहाँ हुआ था। वे पहले व्यक्ति थे जिन्हें शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में भारत सरकार ने दो-दो बार सम्मानित किया, पहले पद्म श्री से, उसके बाद पद्म भूषण से। नीरज ने दिल्ली के एम्स में 19 जुलाई 2018 की शाम लगभग 8 बजे अंतिम साँस ली।₹175.00in PoetrySku: 9780143473503
Hindi Ke Shringar Geet/हिन्दी के शृंगार गीत
- पंडित जवाहर लाल नेहरू का जन्म 14 नंबर 1889 को इलाहाबाद में हुआ था। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अपने घर पर निजी शिक्षकों से प्राप्त की। पंद्रह साल की उम्र में वे इंग्लैंड चले गए और हैरो में दो साल रहने के बाद उन्होंने कैंब्रिज विश्वविद्यालय में प्रवेश लिया, जहाँ से उन्होंने प्राकृतिक विज्ञान में स्नातक की डिग्री प्राप्त की। 1912 में भारत लौटने के बाद वे सीधे राजनीति से जुड़ गए। उन्हें 1930-35 के दौरान नमक सत्याग्रह एवं कांग्रेस के अन्य आंदोलनों के कारण कई बार जेल जाना पड़ा। अपने पूर्ण जीवन में वे नौ बार जेल गए। 1947 में वे स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। 27 मई 1964 को जवाहरलाल नेहरू को दिल का दौरा पड़ा, जिसमें उनकी मृत्यु हो गई।₹299.00Sku: 9780143473459
Meri Kahani/मेरी कहानी
- प्रयागराज में जन्मे शिवेंद्र कुमार सिंह देश के वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं। एक दशक से ज्यादा समय तक भारतीय क्रिकेट टीम के साथ लगभग सभी राष्ट्रीय-अंतर्राष्ट्रीय दौरे पर गए। कई क्रिकेट वर्ल्ड कप से लेकर ओलंपिक तक की कवरेज की। हिंदी के लगभग सभी अख़बारों में नियमित कॉलम लिखे। क्रिकेट पर एक और किताब क्रिकेट के अनसुने किस्से पेंगुइन से ही प्रकाशित हो चुकी है। इसके अलावा पाकिस्तान की यात्राओं पर ये जो है पाकिस्तान और टीवी न्यूज रूम की आपाधापी पर उपन्यास विजय चौक- लाइव प्रकाशित। संगीत से जुड़ी चार किताबें भी प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनका अनुवाद कन्नड़, असमिया, बांग्ला, राजस्थानी, पंजाबी, कोंकणी, उर्दू, नेपाली, अंग्रेजी जैसी भाषाओं में हुआ है। इस समय टीवी 9 के डिजिटल विंग में स्पोर्ट्स 9 चैनल की देखरेख करते हैं।₹299.00in SportsSku: 9780143471233
Openers/ओपनर्स: Gend Ko Chhodne Aur Todnewale Salami Ballebaazon Ki Kahani / गेंद को छोड़ने और तोड़नेवाले सलामी बल्लेबाज़ों की कहानी
- रामचंद्र गुहा का जन्म 1958 में देहरादून में हुआ। गुहा ने दिल्ली और कोलकाता में अपनी पढ़ाई पूरी की। साथ ही ओस्लो, स्टैनफोर्ड, येल विश्वविद्यालयों और भारतीय विज्ञान संस्थान में अध्यापन किया। उनकी बहुत सारी पुस्तकों में पर्यावरण के इतिहास पर एक अग्रणी पुस्तक (द अनक्वायट वुड्स, 1989), खेलों के सामाजिक इतिहास पर एक पुरस्कृत किताब (ए कॉर्नर ऑफ़ ए फॉरेन फ़ील्ड, 2002) और समकालीन इतिहास की एक बहुप्रशंसित बेस्टसेलर किताब (इंडिया ऑफ्टर गांधी, 2007) शामिल हैं। गांधी की शानदार जीवनी का उनका पहला खंड गांधी बिफ़ोर इंडिया 2012 में प्रकाशित हुआ। गुहा को कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया है, जिसमें आर.के. नारायण प्राइज़ (2003), रामनाथ गोयनका प्राइज़ (2007), साहित्य अकादमी अवार्ड(2012) और फुकुओका प्राइज़ (2015) भी शामिल हैं। सन् 2014 में गुहा को मानविकी में येल विश्वविद्यालयद्वारा मानद डॉक्टरेट की उपाधि दी गई।₹599.00Sku: 9780143467458
Shatabdi Ke Jharokhe Se/शताब्दी के झरोखे से